जाप करने के तीन सामान्य प्रकार होते हैं जिन्हें वाचिक उपांशु जप और मानसिक जप कहा जाता है जब जाप किया जाता है तो उसका कारण होना चाहिए जैसे साधना सिद्धि या अनुष्ठान के रूप में कर रहे हैं या सिर्फ भक्ति के लिए, यदि सिर्फ भक्ति के लिए जाप किया जा रहा है तो माला की आवश्यकता नहीं है लेकिन यदि जाप साधना के लिए सिद्धि पाने के लिए या मंत्र सिद्ध करने के लिए किया जा रहा है तो माला से जाप आवश्यक है जिससे कि मंत्र की ऊर्जा बन सके और जल्दी सफलता प्राप्त हो जाए
ग्रामीण क्षेत्रों में जब ऐसे साधकों से साधना करवाई जाती है जो पढ़े-लिखे नहीं होते और ना ही माला का ज्ञान होता है उन्हें साधना करवाने के लिए माला नहीं दी जाती और सिर्फ मंत्र याद करवाया जाता है तथा सारा काम करते हुए दिन भर मंत्र जाप करने की आज्ञा दी जाती है ऐसे साधक खेतों में काम करते हुए भी मंत्र जाप करते रहते हैं और सफलता प्राप्त करते हैं इन्हें सिद्धि भी प्राप्त होती है इसीलिए ऐसा कहना की माला हमेशा आवश्यक है गलत है
कहा माला जरूरी है जब कोई साधक किसी देवी देवता को प्रसन्न करने हेतु और सिद्धि या मनोकामना पूर्ति हेतु अनुष्ठान करता है तो वह एक निश्चित जाप संख्या का जाप करता है जिसके लिए प्रतिबद्ध होकर प्रतिदिन की एक जाप संख्या तय करके जाप करता है तो माला अति आवश्यक होती है जिससे जाप संख्या कम या अधिक न हो जाए ऐसे कार्य में माला होना आवश्यक है
कौनसी माला किसके लिए उपयोग की जाती है यह प्रश्न उठता है यहां सभी देवताओं के लिए रूद्राक्ष माला उपयोग की जा सकती है और श्रीकृष्ण जी के जाप के लिए तुलसी माला, चंदन माला ,श्रीराम के लिए तुलसी माला या चंदन माला,बाकी देवताओं के लिए रूद्राक्ष माला उपयोग की जाती है व सभी देवी शक्ति के लिए चंदन या स्फटिक माला उपयोग कर सकते हैं एवं लक्ष्मी जी के अलावा अन्य किसी भी देवी के लिए रूद्राक्ष माला उपयोग कर सकते हैं
जय श्री कृष्णा जय श्री महाकाल
ऐसे ही जानकारी देते रही है और हर रहस्य को प्रकट कीजिए गुरुजी यही प्रार्थना है
आपका बहुत बहुत धन्यवाद गुरुदेव ..
ॐ नमः शिवाय गुरुदेव