शिवपुराण के अनुसार ग्यारहमुखी रुद्राक्ष भगवान शिव के अवतार रुद्रदेव का रूप है।
इस रुद्राक्ष को साक्षात रूद्रदे का अवतार माना जाता है। यह भगवान हनुमान का प्रतिनिधित्व करता है जिन्हें भगवान शिव का 11वां अवतार भी माना जाता है।
जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को धारण करता है, वह सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करता है। शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
हर क्षेत्र में सफलता पाने के लिए इसे पहनना चाहिए। इसका मंत्र है ॐ ह्रीं हुम नम:।
जो इसे शिखा में धारण करता है, उसे कई हजार यज्ञ कराने का फल मिलता है.
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष भगवान इंद्र का प्रतीक है। यह ग्यारह रुद्रों का प्रतीक है।
इसे शिखा में बांधकर धारण करने से हजार अश्वमेध यज्ञ तथा ग्रहण में दान करने के बराबर फल प्राप्त होता है।
इसे धारण करने से समस्त सुखों में वृद्धि होती है। यह विजय दिलाने वाला तथा आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करने वाला है।
यह व्यक्ति से डर को दूर करने में मदद करता है दीर्घायु व वैवाहिक जीवन में सुख-शांति प्रदान करता है।
विभिन्न प्रकार के मानसिक रोगों तथा विकारों में यह लाभकारी है तथा जिस स्त्री को संतान प्राप्ति नहीं होती है
इसे विश्वास पूर्वक धारण करने से बंध्या स्त्री को भी सकती है संतान प्राप्त हो।
यह व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता में सुधार करने में मदद करता है
यह लोगों के गुस्से को प्रबंधित करने और शांत रहने में मदद करता है
इसे धारण करने से बल व तेज में वृद्धि होती है।
मकर व कुंभ राशि के व्यक्ति इसे धारण कर जीवन-पर्यंत लाभ प्राप्त कर सकते हैं।