घर पर महालक्ष्मी योगिनी साधना सात्विक विधि से कैसे कर सकते हैं और क्या क्या सावधानियां रखना है पूर्ण विधि के साथ बता रहे हैं Mahalakshmi yogini sadhana vidhi satvik vidhi for home use
Mahalakshmi yogini sadhana vidhi सावधानी एवं नियम
1 हमेशा सुरक्षा चक्र बनाकर ही साधना करें,
2 साधना काल में लोगों से साधना के विषय में बात ना करें.
3 बृहमचर्य का पालन करें.
4 जितना हो सके दिन में महालक्ष्मी की तस्वीर पर त्राटक करें फिर आँख बंद कर उसी तस्वीर को अंदर देखने की कोशिश करें..
5 रात में महालक्ष्मी योगिनी के लिए कुछ मिठाई कमरे के बाहर कहीं भी रखें और सुबह देखें मिठाई का रंग बदला है या मिठाई गायब है
6 रोज मंदिर में महालक्ष्मी के नाम का दीपक जलाकर आये यदि कोई आभास ना हो रहा हो ..
7 खुद को तकलीफ दें जैसे साधना काल म़े उपवास रख लें या नंगे पैर मंदिर जाऐ
8 रोज महालक्ष्मी योगिनी से सिध्दि देने की प्रार्थना करें
9 रोज हवन करें हवन में श्रीनायायण के नाम की भी आहुति दें और प्रार्थना करें कि वे महालक्ष्मी को आज्ञा दें सिध्दी देने के लिए
10 साधना से पहले हाथ पैर के नाखून कटा दें साफ शरीर कर लें ,दाढी रख सकते है कोई परेशानी नहीं है
11 शाम को साधना के पहले अवश्य स्नान करें.
12 साधना के इन दिनों में किसी के घर व्यक्तिगत तौर पर खाना ना खायें और यदि खाना पड़े तो इस बात का विशेष ध्यान रखें की उस घर में मांसाहार ना खाते हो ,
13 दूसरे व्यक्ति के कपड़ें ना पहने ,किसी को छूऐ नहीं बेवह ,कम बोले शांत रहे
14 साधना करते समय नयी धोती या टावल लपेटकर साधना करें ,गंदे या पुराने कपड़े ना पहने ,क्यों कि हर रोज नये कपड़ें नहीं खरीद सकते इसलिए टावल
या लूंगी लपेटकर कर साधना करें दिन में टावल धोले रात को फिर लपेट लें टावल मोटा नहीं पतला पीला या सफेद खरीदलाये…….
15….महालक्ष्मी एक स्त्री है इसलिए श्रृंगार की थोड़ी बहुत सामग्री भी लाकर रखें,
16 जिस तरह एक खूबसूरत स्त्री के लिए बैचेन हो जाते हैं उसी तरह महालक्ष्मी योगिनी के लिए बैचेनी होना चाहिए ,जो महालक्ष्मी की.तस्वीर आप सामने रखते हैं उसी रुप में उनके दर्शन के लिए लगातार फोटो पर ज्यादा से ज्यादा त्राटक करें
17 ये साधना के दिन दिन रात महालक्ष्मी योगिनी का नाम लेकर बिताये महालक्ष्मी से बात करें अपनी हर समस्या बताते रहें जैसे वो आपके साथ ही हैं
18 हर पल महालक्ष्मी योगिनी के लिए तड़पे जैसे वो आपके साथ सालों से थी और अचानक कहीं चली गई है
19 साधना काल मे किसी दूसरी स्त्री के ख्याल मे डूबने की गलती ना करें ,रात्रि में जाप से पहले या बाद में किसी स्त्री से फोन पर बात ना करें महालक्ष्मी योगिनी आपके पास ही होती है वरना वह आपको दूसरी स्त्री के तरफ मन लगा देगी ओर साधना भंग हो जाऐगी.
( महालक्ष्मी योगिनी साधना )
तांत्रोक्त भैरव कवच ||
सहस्त्रारे महाचक्रे कर्पूरधवले गुरुः |
पातु मां बटुको देवो भैरवः सर्वकर्मसु ||१||
पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा |
आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरवः ||२||
नैॠत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे |
वायव्यां मां कपाली च नित्यं पायात् सुरेश्वरः||३||
भीषणो भैरवः पातु उत्तरास्यां तु सर्वदा |
संहार भैरवः पायादीशान्यां च महेश्वरः ||४||
ऊर्ध्वं पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः |
सद्योजातस्तु मां पायात् सर्वतो देवसेवितः||५||
रामदेवो वनान्ते च वने घोरस्तथावतु |
जले तत्पुरुषः पातु स्थले ईशान एव च ||६||
डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् में सर्वतः प्रभुः |
हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः||७||
पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः |
मालिनी पुत्रकः पातु पशूनश्वान् गंजास्तथा ||८||
महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा |
वाद्यम् वाद्यप्रियः पातु भैरवो नित्यसम्पदा|
JAY SHREE KRISHNA
मंत्र जपते समय माला मे जो सुमेरु होता हैं उसको लांघना नहीं है जब दुसरी माला शुरु हो तो माला के आखिरी
दाने को पहला दाना मानकर जप करें, इसके लिए आपको माला को अंत मे पलटना होगा। इस क्रिया का बैठकर पहले से अभ्यास कर लें। पूजा सामग्री:- सिन्दुर, चावल, गुलाब पुष्प, चौकी, नैवैध, पीला आसन, धोती या कुर्ता इत्र, जल पात्र मे जल, चम्मच, मोली/कलावा, अगरबत्ती, देशी घी का दीपक, चन्दन, केशर, कुम्कुम,अष्टगन्ध
विधि :Mahalakshmi yogini sadhana vidhi
पूजन के लिए नहाधोकर साफ-सुथरे आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके बैठ जाएं।
अब अपनी शुध्दि के लिए आचमन करें
हाथ में जल लिए हुए आप इन मंत्रों के साथ ध्यान करें – ॐ केशवाय नम: ॐ नाराणाय नम: ॐ माधवाय नम: ॐ ह्रषीकेशाय नम: और जल को तीन बार में तीन बूंद पीये इस प्रकार आचमन करने से आप शुध्द हो जाऐंगे,सामग्री अपने पास रख लें। बायें हाथ मे जल लेकर, उसे दाहिने हाथ से ढ़क लें। मंत्रोच्चारण के साथ जल को सिर, शरीर और पूजन सामग्री पर छिड़क लें या पुष्प से अपने ऊपर जल को छिडके।
इस मन्त्र को बोलते हुए सभी सामग्रियों पर जल छिड़के ऐसा करने से सामग्री के सभी अशुध्दिया दूर हो जाती हैं इस मंत्र का उपयोग सभी पूजन और साधनाओ मे सामग्रियों को शुध्द करने में कर सकते हैं – ॐह्रीं त्रिपुटि त्रिपुटि कठ कठ आभिचारिक-दोषं कीटपतंगादिस्पृष्टदोषं क्रियादिदूषितं हन हन नाशय नाशय शोषय शोषय हुं फट् स्वाहा.
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥
(निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए शिखा को गांठ लगाये / स्पर्श करे)
ॐ चिद्रूपिणि महामाये! दिव्यतेजःसमन्विते। तिष्ठ देवि!
शिखामध्ये तेजोवृद्धिं कुरुष्व मे॥
(अपने माथे पर कुंकुम या चन्दन का तिलक करें)
ॐ चन्दनस्य महत्पुण्यं, पवित्रं पापनाशनम्।
आपदां हरते नित्यं, लक्ष्मीस्तिष्ठति सर्वदा॥
(अपने सीधे हाथ से आसन का कोना छुए और कहे)
ॐ पृथ्वी! त्वया धृता लोका देवि! त्वं विष्णुना धृता। त्वं च धारय मां देवि! पवित्रं कुरु चासनम्॥
संकल्प:- दाहिने हाथ मे जल ले। मैं ……..अमुक……… गोत्र मे जन्मा,……… ………. यहाँ आपके पिता का नाम………. ……… का पुत्र……………………….. निवासी…………………..आपका पता………………………. आज सभी देवी-देवताओं को साक्षी मानते हुए महालक्ष्मी योगिनी की पुजा, गणपती और गुरु जी की पुजा महालक्ष्मी योगिनी की सिद्धी प्राप्ति के लिए कर रहा हूँ जल और सामग्री को छोड़ दे।
ऋष्यादिन्यास:
ॐ श्रीमार्कंडेयमेधसऋषिभ्यां नम: – शिरसि ( मंत्र पढ़ते हुए सर को छुए)
ॐ गायत्रीयादि नाना विधछन्दोभ्यो नम: – मुखे ( मुख को छुए)
ॐ त्रिशक्तिरूपिणी चण्डिकादेवतायै नम: – हृदये( हृदय को छुए)
ॐ ऐं बीजाय नम: – गुहेय (जांघ पर छुए)
ॐ हृीं शक्तये नम: – पादयो (पैरों को छुए )
ॐ क्लीं कीलकाय नम: – नाभौ (नाभी को छुए )
ॐ मम चिंतित सकल मनोरथ सिद्धयर्थे जपे विनियोगाय नम: सर्वाङगे (सर से पैर तक हाथ घुमाए)
करन्यास:
ॐ ऐं अंगु”ठाभ्यां नम: ॐ हृीं तर्जनीभ्यां नम: ॐ क्लीं मध्यमाभ्यां नम: ॐ ऐं अनामिकाभ्यां नम:
ॐ हृीं कनिष्ठीकाभ्यां नम: ॐ क्लीं करतलकरपृष्ठाभ्यां नम:
हृदयादिन्यास:
ॐ ऐं हृदयाय नम: ॐ हृीं शिरसे स्वाहा ॐ क्लीं शिखायै वषट् ॐ ऐं कवचाय हुम् ॐ हृीं नेत्रत्रयाय वौषट्
ॐ क्लीं अस्त्राय फट्
दिङ्न्यास:
ॐ ऐं प्राच्यै नम: ॐ हृीं आग्नेय्यै नम: ॐ क्लीं दक्षिणायै नम: ॐ ऐं नैॠत्यै नम:
ॐ हृीं प्रतिच्यै नम: ॐ क्लीं उधार्वयै नम: ॐ हृीं क्लीं भूम्यै नम:
(आसन पर बैठे-बैठे सभी दिशाओ में हाथ घूमाऐ )
इसी प्रकार कुछ मूल मंत्र के अतिरिक्त कुछ विशेष मन्त्रों और मुद्राओं की भी अनिवार्यता होती है.पांच मुद्राओं का १०-१० सेकेंड प्रदर्शन करने से भी अनुकूलता मिलती है .यथा
दंड, मत्स्य, शंख, अभय और ह्रदय मुद्रा
गणपति का पूजन करें।
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्रयंबके गौरी नारायणि नमोअस्तुते ॐ श्री गायत्र्यै नमः। ॐ सिद्धि बुद्धिसहिताय श्रीमन्महागणाधि पतये नमः। ॐ लक्ष्मीनारायणाभ्यां नमः। ॐ उमामहेश्वराभ्यां नमः। ॐ वाणीहिरण्यगर्भाभ्यां नमः। ॐ शचीपुरन्दराभ्यां नमः। ॐ सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमः। ॐ सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमः। ॐ भ्रं भैरवाय नमः
फिर। गुरु पुजन कर लें
ॐ गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात पर ब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥ ॐ श्री गुरु चरणकमलेभ्यो नमः। ॐ श्री गुरवे नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि।
अब महालक्ष्मी योगिनी का ध्यान करें और सोचे की वो आपके सामने हैं। दोनो हाथो को मिलाकर हाथ जोड़े साथ ही साथ
इन गुलाबो के सभी गन्ध से तिलक करे। और स्वयँ को भी तिलक कर लें।
ॐ अपूर्व सौन्दयायै, महालक्ष्मी योगिनी सिद्धये नमः। मोली/कलवा चढाये :
वस्त्रम् समर्पयामि ॐ महालक्ष्मयै नमः
सर्वप्रथम किसी लकड़ी के पटे पर पीला वस्त्र बिछाये, पटे पर माँ का भव्य चित्र स्थापित करे, सामने घी का दीपक लगाये और गुलाब के धूपबत्ती से वातावरण को गुलाब के सुगंध से आनंदित करे । माँ को घर पर बने हुये मीठाई का भोग लगाएं, गुलाब या कमल का पुष्प चढ़ाए । अक्षय तृतीया के अवसर पर नही कर सके तो किसी भी शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को कर सकते है । साधना में स्फटिक माला का ही प्रयोग करें माला और यंत्र प्राण-प्रतीष्ठीत हो
सर्वप्रथम हाथ जोडकर माँ का ध्यान करे-
ध्यानः-
ॐ अरुण-कमल-संस्था, तद्रजः पुञ्ज-वर्णा,
कर-कमल-धृतेष्टा, भीति-युग्माम्बुजा च।
मणि-मुकुट-विचित्रालंकृता कल्प-जालैर्भवतु-भुवन-माता सततं श्रीः श्रियै नः ।।
पूजन
ॐ लं पृथ्वी तत्त्वात्वकं गन्धं श्रीमहालक्ष्मी-प्रीतये समर्पयामि नमः। (इत्र गुलाब का )
ॐ हं आकाश तत्त्वात्वकं पुष्पं श्रीमहालक्ष्मी-प्रीतये समर्पयामि नमः।(फूल चढायें )
ॐ यं वायु तत्त्वात्वकं धूपं श्रीमहालक्ष्मी-प्रीतये घ्रापयामि नमः।( धूप अगरबत्ती)
ॐ रं अग्नि तत्त्वात्वकं दीपं श्रीमहालक्ष्मी-प्रीतये दर्शयामि नमः।(दीपक दीखाये)
ॐ वं जल तत्त्वात्वकं नैवेद्यं श्रीमहालक्ष्मी-प्रीतये निवेदयामि नमः।( नैवेद्य चढायें)
ॐ सं सर्व-तत्त्वात्वकं ताम्बूलं श्रीमहालक्ष्मी-प्रीतये समर्पयामि नमः।
महालक्ष्मी मन्त्र:-
।। ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः ।।
Om shreem hreem shreem mahalakshmyai namah
इस मंत्र का कम से कम 21 माला जाप 11 दिनों तक जप करना है। 12 वे दिन “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः स्वाहा” मंत्र बोलते हुए अग्नी में घी की आहुतिया दे,आहूति 108 बार मंत्र बोलकर दे सकते है क्योंकि जप 21 माला है तो 3 माला आहुति दें
इसके बाद मूल मंत्र की 21 या 51 या 101 माला सार्मथ अनुसार जप करके महालक्ष्मी योगिनीको मंत्र जप समर्पित कर दें।जप के बाद मे यह माला को पुजा स्थान पर ही रख दें। जाप के बाद आसन पर ही 15मिनट आराम करें !
होम-नित्य प्रति के जप का दशांश हवन नित्य करना चाहिए जैसे 2100 बार जप किया तो 210 दशांश हुआ तो 210 बार हवन करें .
तर्पण-हवन करने के बाद बड़े बर्तन में या किसी कटोरी में हवन की मात्र का दशांश तर्पण करे. जैसे 210 बार हवन किया तो 21 बार तर्पण करना है, एक बर्तन या कटोरी लें उसको अष्टगंध,कपूर ,दूर्वा आदि मिश्रित जल से भर दे और जो भी देवता या देवी हो उसका नाम लेकर‘तर्पयामि नमः’ कह कर जल अर्पित करें जैसे महालक्ष्मी योगिनी तर्पयामि नम:
मार्जन-तर्पण के बाद उसकी दशांश संख्या “अभिषिन्चामि नमः’ कहकर जल जो बर्तन में रखा है जिससे तर्पण किया है उसी से अपने मस्तक पर छुए यह मार्जन कहलाता है.
पूर्णमदःपूर्णमिदंपूर्णात्पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥
फिर गुरु पूजा करके अपने इष्ट की आरती करें… जय शिव ओमकारा या जय जगदीश हरे।
क्षमा-प्रार्थना
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया। दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि॥1॥
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि॥2॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि। यत्पूजितं मया देवि परिपूर्ण तदस्तु मे॥3॥
अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत्। यां गतिं समवापनेति न तां ब्रह्मादय: सुरा:॥4॥
सापराधोऽस्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके। इदानीमनुकम्प्योऽहं यथेच्छसि तथा कुरु॥5॥
अज्ञानाद्विस्मृतेभ्र्रान्त्या यन्न्यूनमधिकं कृतम्। तत्सर्व क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि॥6॥
कामेश्वरि जगन्मात: सच्चिदानन्दविग्रहे। गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि॥7॥
गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम्। सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरि॥8॥
Warning -किसी भी प्रकार की साधना एक प्रकार की पूजन प्रक्रिया है जिसे किसी योग्य गुरु के सानिध्य में ही किया जाना चाहिए अन्यथा गुरु अनुमति से किया जाना चाहिए साधना करने का उद्देश्य भावनात्मक उन्नति होती है हम किसी भी प्रकार के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते हैं
https://www.shrimahalaxmiratnakendra.com/eclipse/solar-eclipse |
I want to do maha laxmi yogini sadhna. I m from ahmedabad. I want to purchase sadhna kit. Please allow
Me.