रुद्राक्षों में चार मुखी रुद्राक्ष सबसे महत्वपूर्ण रुद्राक्ष है,इस रुद्राक्ष को ब्रह्मा का स्वरूप कहा जाता है।
इसे धारण करने से व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसे धारण करने का मंत्र है ऊँ ह्रीं नम:।
यह रुद्राक्ष चार वर्ण, चार आश्रम यानि ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास के द्वारा पूजित और परम वंदनीय है। इस रुद्राक्ष का अधिपति ग्रह बुध है, जिस कारण यह आपको शिक्षा के क्षेत्र में सफलता दिलाने में, बुध के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और विद्या की देवी मां सरस्वती की कृपा पाने के लिए उत्तम है।
बुध ग्रह की प्रतिकूलता को दूर करने के लिए इसे धारण करना चाहिए। मानसिक रोग, पक्षाघात, पीत ज्वर, दमा तथा नासिका संबंधित रोगों के निदान हेतु इसे धारण करना चाहिए।
चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से वाणी में मधुरता, आरोग्य तथा तेजस्विता की प्राप्ति होती है। इसमें पन्ना रत्न के समान गुण हैं।
सेहत, ज्ञान, बुद्धि तथा खुशियों की प्राप्ति में सहायक है। इसे चारों वेदों का रूप माना गया है तथा धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चतुर्वर्ग फल देने वाला है।
इसे धारण करने से सांसारिक दुःखों, शारीरिक, मानसिक, दैविक कष्टों तथा ग्रहों के कारण उत्पन्न बाधाओं से छुटकारा मिलता है।
इस रुद्राक्ष का एक मुख्य लाभ यह है कि यह संचार को बढ़ाता है| यह उन लोगों के बौद्धिक क्षमता को बढ़ाता ह जो बौद्धिक रूप से सुस्त हैं|
यह पहनने वाले को आत्मविश्वास औऱ रचनात्मकता प्राप्त करने में मदद करता है
इस रुद्राक्ष को धारण करने से धारक को जीव हत्या के पाप से मुक्ति भी मिल जाती है
वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर व कुंभ लग्न के जातकों को इसे धारण करना चाहिए। सोमवार को यह मंत्र 108 बार जपकर धारण करें।
29/10/2020